निराशा क्या हैं?
निराशा एक ऐसी मनोदशा होती हैं जिसमे काम के प्रति अरुचि को दर्शाती हैं।इस स्थिति में उस व्यक्ति का किसी भी काम करने में मन और ध्यान ही नहीं लगता।बस वह व्यक्ति अकेला,चिडचिडा,उदास और बैचेन रहने लगता हैं।उसके दिमाग में नकारात्मक विचार आने लगते हैं। हम निराश कब हो जाते हैं या निराशा के कारण
सब लोगों का अच्छे भविष्य और सुखी जीवन जीने का सपना और इच्छाएं होती हैं।सभी लोग अपना सपना या अपनी इच्छाएं पूरी नहीं कर पाते तब निराश हो जाते हैं। हमारी कुछ करने की या कुछ पाने की इच्छाएं पूर्ण करने में हम जब असमर्थ हो जाते हैं तब हम निराश हो जाते हैं।
हमारी इच्छा से अनुसार काम नहीं होता या हमारी इच्छा के अनुकूल स्थितियां नहीं होती तब हम निराश हो जाते हैं।
हमे कोई व्यक्ति कुछ भी कह दे तब हम निराश हो जाते हैं।
परीक्षा में किसी विद्यार्थी अच्छे नंबर नहीं ला पाता या उसकी मेहनत की हिसाब से उसको फल नहीं मिलता तब वह निराश हो जाता हैं।
हमे जॉब नहीं मिलती या हमे जॉब से निकाल देते तब हम नीराश हो जाते हैं।
जब हम किसी व्यक्ति पर खुद से ज्यादा भरोसा रखते हैं तब वह व्यक्ति भरोसा तोड दे तब
कुछ लोग अपनी आर्थिक परिस्थिति के कारण
कई बार ऐसा होता हैं हमारी आसपास की परेशानियां हमे निराश नहीं करती बल्की सही विचार न करने से या सही निर्णय न लेने से हम खुद अपनी मुश्केलियां बढा देते हैं
निराश हो जाने के लक्षण
जब लोग निराश होते तब उसमें यह लक्षण नजर आते हैं।
अकेला रहने लगता हैं,गुमसुम रहता हैं,विचारों में ही खोया रहता हैं,किसी के साथ बात करना या मिलने जुलने का उसका मन नहीं करता,उन्हें किसी पे भरोसा नहीं रहता
उन्हें लगता हैं की उनकी जिंदगी बेकार है और उनके साथ कोई नहीं है
उदास,बैचेन और चिंता में रहता हैं
छोटी छोटी बातों पर गुस्से हो जाना,चिडचीडा होना,गभराहट होना,थकावट महसूस होना
कम निंद या ज्यादा निंद आना,कम भूख लगना और वजन घटना या ज्यादा भूख लगना और वजन बढना
ध्यान केंद्रित करने में,सोचने में,निर्णय लेने में और चीजों को याद करने में समस्या होती हैं
अतीत में कुछ हुआ हो या कुछ खराब हुआ हो उसके लिए खुद को आत्मदोष देना या खुद को कोसने लगता हैं,कुछ गलत हुआ हो और उसकी गलती ना हो तब भी वह खुद जवाबदार हैं उसके पीछे ऐसा मानने लगता हैं
शारीरिक समस्या या पाचन संबंधित समस्या होती हैं
निराशा को दूर करने के तरीके
1. सकारात्मक सोच रखनी चाहिए
जब हम निराश हो जाते हैं तब हमे एक बार सकारात्मक विचार कर लेना चाहिए और सबसे पहले सोचना चाहिए की हमेशा मोज मस्ती में रहने वाला मेरी लाइफ में कब निराशा ने एंट्री मार दी और एंट्री मारकर सब उथल पुथल कर दिया।नकारात्मक विचार करने से ही निराशा उत्पन्न हुई हैं तो अब सकारात्मक सोच को अपनी लाइफ में एंट्री मार दो और निराशा की कर दो छूटी और वापस लौट जाव जेसे हम पहले मोज मस्ती से जीते थे वैसे ही शुरू कर दो जीना और रहो हमेशा मोज में।
2. अपने आपको हमेशा करे Entertain
जब हमे ऐसा लगे कि कोई बात हमे परेशान कर रही है और उस बात से हम दुखी हो जाते हैं तब इसी वक्त खुद को Entertain करना शुरू कर दो।खुद को अच्छा लगे वैसा कोई काम कर लो।बच्चे के साथ समय बिताए,अपने परिवार या दोस्तो के साथ बहार जाए,जोक्स पढे।एसी कई चीजों आपको मिल जाएगी जैसे आप उत्साहित रह सकते हैं।
3. अपने आपको busy रखे
हमे कोई भी काम करते रहने चाहिए और कभी भी खाली नहीं बैठना चाहिए।जब हम कुछ नहीं करते या हम खाली बैठे होते हैं तब विचार आए बिना नहीं रुकता।जब हम मोबाइल रमते हैं या कोई भी काम करते हैं तब हमारा ध्यान उसमे केन्द्रित होता हैं इसलिए हमे नकारात्मक विचार नहीं आता।कहते है ना ‘खाली दिमाग शैतान का घर होता हैं’ खास तो हम जब अकेले होते तब तो कुछ काम करते रहना ही चाहिए किसी दोस्त के साथ चेटिंग करनी चाहिए,किताब पढनी चाहिए फ्री तो बैठना ही नहीं चाहिए अगर फ्री बैठो तो अपनी विचार पर जरूर कंट्रोल करे।
4. शांत रहकर सोचे
हमे निराशा या दुख आता हैं तब हमे शांत होकर सोचना चाहिए और देखना चाहिए की किस वजह से यह प्रॉब्लम हुई।उसके पीछे की गलती को पहचानना चाहिए और गलती को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए और दोबारा वह गलती न करे उसका भी ध्यान रखें।
5. अपनी दिनचर्या को जरा बदलकर देख ले
आप हर दिन जो भी कार्य करते हैं मतलब आपकी दिनचर्या में कुछ ऐसा बदलाव करे जिससे आप को अच्छा लगे।अपनी दिनचर्या में ध्यान और कसरत जरूर शामिल करे।जब ध्यान या कसरत करते हैं तब मन शांत होता हैं और एक नई ऊर्जा उत्पन्न होती हैं।शरीर मजबूत,स्वस्थ होता हैं।स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का वास होता हैं।अपने खान पान में जरूरी ध्यान दे।
6. निंद पूरी ले
निंद हमारे लिए बहुत जरूरी है।निंद से हमारी शारीरिक और मानसिक थकावट दूर होती हैं।निंद से तनाव दूर होता हैं और नई ऊर्जा का संचार होता हैं।हमे 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए।जिसे हम फ्रेश रहते हैं।कम निंद लेने से हम थकान महसूस करते ओर हमारी एकाग्रता कम हो जाती हैं।इसलिए पूरी नींद ले।
7. अच्छा music सुने
हम सभी मोबाइल का तो उपयोग करते ही हैं।उसमे से कुछ वक्त अच्छा सा म्यूजिक सुनने में वक्त दीजिए जिसे आप अच्छा महसूस कर सकते हों।मोटिवेट वाला म्यूजिक सुनने से हमारे अंदर मोटिवेशन आता हैं और जिससे कोई काम करने में अंदर से हमारा हौसला बढ जाता हैं।मन शांत रहता हैं और निराशा कम होती हैं।
8. अपनी पसंद की फिल्म देखें
एसी कई फिल्म आती रहती हैं उसमें से अच्छी और मोटिवेट करे एसी भी फिल्म आती हैं।इन सब फिल्म में से आपकी पसंद की फिल्म भी होगी,उन फिल्म को जरूर देखे क्युकी कुछ ऐसी फिल्म होती हैं जो हमे मनोरंजन तो कराती हैं साथ साथ जीवन में आगे बढने की प्रेरणा भी देती हैं।फिल्म देखने से हम सकारात्मक महसूस करते है जिसे निराशा कम होती हैं।
9. प्रेरणादायक किताबे पढे
कोई भी परिस्थिति आए उसमे किताब पढने का मन न करे फिर भी मन करके किताब अवश्य पढे खास तौर पर भगवत गीता पढे।भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के समय जो धर्म व कर्म का उपदेश देकर उनको सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं।इन्हीं सब उपदेश को भगवत गीता में बताया हैं।इसलिए भगवत गीता को पढकर हमें हर समस्या का निवारण मिल सकता हैं।इसे पढकर दुख,चिंता,निराशा,टेंशन या कुछ भी प्रॉब्लम हो तो आप दूर कर सकते हो और जीवन में एक नई राह खोज सकते हों।
10. खुद पर और खुदा पर भरोसा करे
निराशा तो हर किसी के जीवन में आती रहती हैं इसी तरह हम अपना लक्ष पाने से चूक गए इसी वजह से या और वजह से हमारे जीवन में निराशा आए तो हमे गभराना नहीं चाहिए।हमे खुद पर भरोसा रखकर और मेहनत करके अपनी लक्ष को हासिल करना चाहिए।कभी भी हमे खुद पर से भरोसा नहीं हटाना चाहिए।खुदा पर भी भरोसा रखें।हमे ऐसा लगे कि हमारी पास कुछ नहीं है सब खत्म हो गया तब गभराना नहीं चाहिए क्यूंकि एक ऐसी शक्ति हैं जिस पर हमें आसा रखनी चाहिए और वह समय पर सब कुछ ठीक कर देगा।डाल पर बैठे पंखी को नहीं गिरने देता तो वह हमे भी संभाल लेगा ऐसी आशा हमेशा जीवंत रखनी चाहिए।जब खुदा का हाथ अपने सर पर होता हैं तब हमारा कोई नहीं बिगाड सकता ओर हमारी निराशा भी दूर होगी।
11. अपने आपको संभाल कर रखना
हम जब बेहद निराशा हो जाते हैं तब हमारा संतुलन ठीक नहीं होता।एक तो हम कुछ भी करते उसमे नहीं हमारा मन होता और नहीं ध्यान होता हैं।निराशा वाली स्थिति में नकारात्मक विचार आने लगते हैं और न जाने क्या क्या करने का विचार आता हैं कभी आत्महत्या तक करने का विचार आता हैं।हम किसी को कुछ भी कह देते हैं उसका भी ध्यान रखना चाहिए। गुस्सा आए तो रुक जाना चाहिए।जब हम इन सब का ध्यान रखते हैं और हम खुद को संभाल लेते हैं तब निराशा से लडने में मदद मिलती है और निराशा को दूर कर सकते हैं।
12. किसी के साथ तुलना मत करना
हमारे साथ जो भी व्यक्ति होते हैं या कोई और व्यक्ति के पास हमारे से सब अच्छा है,उसके पास गाडी,बंगला या वो अधिक सफल हो तब हम तुलना करने लगते हैं और हमे ईर्ष्या होती हैं।हमे तुलना या ईर्ष्या नही करनी हमारे पास जो भी है उसमे ही आनंदित रहना है और अधिक मेहनत करके सफल होना हैं।ईश्वर ने हम सब को अलग बनाया है इसलिए,सब का सोख, हुनर,रूप,क्षमताएं अलग – अलग होती हैं।हमें भी ईश्वर ने अनोखी शक्ति दी हैं बस उसको हमे पहचानना हैं और उस शक्ति का उपयोग करके हम भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
13. धीरज रखें
धीरज रखना अति आवश्यक है।कोई भी परेशानियां आए तो उसमे धीरज रखनी चाहिए।जरा रुक जाना चाहिए और उस परेशानियां का समाधान ढूंढना शुरू कर देना चाहिए।ओर एक बात धीरज ही है जो इंसान को सफल बनने में काफी मदद करती हैं।जिसके पास धीरज है उसके लिए कुछ भी पाना संभव है।यदि हमे कोई चीज पानी हो या अपने काम में सफलता हासिल करनी हो और अधिक मेहनत करने के बावजूद सफलता न मिले तब हमे निराश नहीं होना चाहिए हैं हमे धीरज रखनी चाहिए।
14. दूसरों से सलाह ले
जब आप निराशा से बहार निकलना चाहते है तब आप अपने माता पिता या बडे बुजुर्ग व्यक्ति या आपको जिस पर भरोसा हो उसे आप अपनी बात बताए और उनसे सलाह अवश्य लें।सबसे पहले तो आप अपने माता पिता को बताए क्यूंकि उनके जीवन में भी इस तरह की समस्या आई होगी और इसे दूर भी की होगी।उन्होंने कैसे इस समस्या को दूर किया हैं वे तजुर्बे आपको बताएंगे,उस तजुर्बे का आप उपयोग करके निराशा या किसी समस्या को दूर कर सकते हो।
15. अपने लक्ष्य को पहचानकर उसको छोटे छोटे भागों में बांटे
जब हम एक समय में लक्ष्य के बिना बहुत कुछ करने की शरुआत करते हैं तब हमे सफलता नहीं मिलती।हमारी ऊर्जा और एकाग्रता खत्म हो जाती हैं जिसे हमें निराशा का सामना करना पड सकता हैं।इसलिए सबसे पहले हमे कोई लक्ष्य ढूंढना चाहिए या अपने मनपसंद क्षेत्र में भी लक्ष्य ढूंढ सकते हैं।हम एक साथ तो सब कुछ प्राप्त नहीं कर सकते इसलिए अपने लक्ष्य को छोटे छोटे भागों में बांटे।जेसे जेसे हम अपने छोटे छोटे भागों में बटे लक्ष्य को पूरा करते जाएंगे वैसे ही हमारा आत्मविश्वास और हमारा अनुभव बढेगा।हमे असफलता का भी सामना करना होता हैं।हम कहा असफल हुए उसका पत्ता करने के बाद हमे अधिक मेहनत करने के साथ असफलता से भी सिख लेकर हम अपने लक्ष्य को पा सकते हैं।
निष्कर्ष
हमने इस लेख में निराशा क्या हैं?निराशा को दूर करने के तरीके बताए हैं।वे तरीके से आप निराशा को दूर करके अच्छी और मस्त जिंदगी जी सकते हैं।हमने जो तरीके बताए हैं वो आपको काफी सही और पसंद आया होगा एसी हम उम्मीद करते हैं।
हमारे लेख में हमारी ओर से कोई भी भूल हुई हो तो आप हमें जरूर बता सकते हैं।हमारे लेख को पढने के लिए धन्यवाद !