भारत के नामकरण का इतिहास
हम इस लेख में हमारा देश भारत के कितने नाम है और नाम के पीछे की वजह क्या हैं ?आखिरकार हमारे देश के इतने नाम क्यूं हैं?दुसरे देश की तरह हमारे देश का आधिकारिक नाम एक क्यू नही हैं?आप इस लेख में हमारी पवित्र भूमि भारत के नामकरण के बारे में जानना चाहते हो,तो इस लेख को अवश्य पूरा पढना।
1. भारत के कितने नाम हैं?
☞ भारत के 12 नाम है।
भिन्न – भिन्न लेखों में हमारे देश के और नाम की भी जानकारी दी गई हैं।
2. भारत के नाम क्या – क्या हैं?
☞ भारत के नाम :-
1. आर्यावर्त (आर्यव्रत)
2. हिन्द/हिन्दुस्तान
3. भारतवर्ष
4. भारत
5. इंडिया
6. जम्बूद्वीप
7. अजनाभ खंड (अजनाभ वर्ष)
8. हिमवर्ष
9. नाभीवर्ष
10. होडू
11. ईलाव्रत(इलावृत)
12. टियांजु
[भारत को सोनेकीचिडिया,वीरभूमि,
साप-सपेरों का देश भी कहा जाता है]
[republicofindia भी कहा जाता हैं]
☞ भारत का इतिहास काफी सदियों से गौरवशाली रहा है।भारत विविध संस्कृति वाला देश है।कई सारे धर्मों, भाषाएं, भिन्न भिन्न जाति के लोगो रहते है।सदियों से भारत की विविधता का इतिहास रहा है उसी तरह भारत के नामकरण का इतिहास भी रहा है।हम जिस भूमि पे रहते उस भूमि पर सदियों से आज तक कही प्रजाति ने वसवाट किया है और समय जाते जाते मानवजाती ने प्रगति की दोट मुकी हैं साथ ही अपनी रेहकरणी में भी कई सारे बदलाव भी किए।समय जाते जाते हमारे देश के नाम में भी कहीं बदलाव करते गए।इसी तरह भारत के
नामकरण का रोचक इतिहास रहा है।
3. भारत के विभिन्न नाम के पीछे की रोचक कहानियां
☞ भारत के विभिन्न नाम के पीछे बडी दिलचस्प कहानी है।
1.आर्यावर्त
➜भारत का सबसे प्राचीन नाम आर्यावर्त है।इससे पहले भारत का नाम जम्बूद्वीप ओर अजनाभखंड था।आर्यावर्त नाम इसलिए पडा की,सबसे पहले भारत भुमि पर आर्य प्रजाति आयी थी।आर्यावर्त नाम आर्य प्रजाति के नाम पर पडा था।आर्यावर्त अर्थात आर्यो का निवासस्थान।
आर्यो का निवास्थल :-ऋग्वेद में आर्यो का निवास्थल”सप्तसिंधु” प्रदेश के नाम से अभिहित किया जाता हैं ।ऋगवेद के नदीसुक्त में आर्यनिवास में प्रवाहित होने वाली नदियों का वर्णन किया गया है।जिसमे मुख्य नदी-
“कुभा(काबुलनदी),क्रुगु(कुर्रम),सिंधु,गोमती(गोमल),परुष्णी(रावी),शुतुद्री(सतलज),वितस्ता(झेलम),
सरस्वती,यमुना तथा गंगा”।ये वर्णन आर्यो को निवास्थल की सीमा का निर्देशक माना जाता हैं।
ब्राह्मण ग्रंथो में आर्य संस्कृति का केंद्र कुरू पांचालदेश को माना गया है।अनेक यज्ञयागो के विधान से यह भू-भाग को
“प्रजापतिकीनाभी”के नाम से जाना जाता।
शतपथ ब्राह्मण का कथन है की कुरु पांचाल की भाषा ही सर्वोत्तमतथा प्रमाणिक हैं।आर्यसभ्यता की प्रगति काशी तथा विदेह जनपदों तक फैली है।पंजाब से मिथिला तक का विस्तृत भूभाग आर्यो का पवित्र निवास उपनिषदों में माना गया।
अफघानिस्तान से नेपाल तक का प्रदेश को आर्यावर्त कहा जाता था।आर्यवर्त भारतवर्ष का मात्र एक ही हिस्सा था।
2.हिन्द/हिन्दुस्तान
➜सिंधु घाटी सभ्यता बहुत प्रसिद्ध हुई थी।सिंधु नदी हिमालय के पश्चिम में बहती थी और एक बडा भू-भाग इसके घिरा है।इस भू-भाग को सिंधुघाटी केहते है।
मध्ययुग में जब तुर्किस्तान से कुछ विदेशी लुटेरे और ईरानी लोग देश में आए तो उन्होंने सर्वप्रथम सिंधु घाटी में प्रवेश किया था।वहा जो भी लोग रहते थे,यहां के निवासियों को उन्होंने हिंदू नाम दिया।जो सिंधु का एक अपभ्रश था।वहा हिंदू लोग रहते थे इसलिए उन्होंने हिंदुओं के देश कोहिंदुस्तान नाम दिया।
ये भी कहा जाता हैं की जब दरीउस प्रथम ने जब सिंधु घाटी पर अधिकार किया तो उन्होंने सिंधु नदी के पीछे वाली भूमी को हिंदुस्तान नामसे पुकारा था।शायद ऐसा हुआ होगा की मध्य पर्शियाई काल में प्रत्यय “स्तान” भी हिंदू के साथ जोड दिया गया होगा और फिर दोनो शब्दो के योग से बना “हिंदुस्तान”।हिमालय से प्रारंभ होकर इन्दुसरोवर(हिन्दमहासागर)
तक निर्मित देशहिंदुस्तान कहलाता हैं।
3. भारतवर्ष
➜ भारतवर्ष नाम भरत नाम के राजा के नाम से पडा था।किंतु,प्राचीन भारतवर्ष में तीन राजा भरत हुए थे।
एक भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत,
दूसरे राजा दशरथ के पुत्र और
तीसरे राजा दुष्यंत-शकुंतला के पुत्र भरत।
➜ प्रथम भरत :- भारतवर्ष नाम भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर पडा था।वायु पुराण के अनुसार त्रेता युग के प्रारंभ में राजा स्वयंभू मनु के पौत्र और राजा प्रियव्रत के पुत्र ने भरत खंड को बसाया था।लेकिन राजा प्रियव्रत के कोई पुत्र नहीं था।फिर,उन्होंने अपनी पुत्री के पुत्र अग्नीध्र को गोद ले लिया।जिसका लडका नाभि था। नाभि की पत्नी मेरू देवी से जो पुत्र पैदा हुआ उसका नाम ऋषभदेव था।ऋषभदेव के दो पुत्र थे भरत और बाहुबली।
स्वयंभू मनु की क्रमश: पीढी प्रियव्रत,अग्नीघ्र,नाभी राज, ऋषभदेव के दो पुत्र भरत और बाहुबली थे।
भरत और बाहुबली में बाहुबली को वैराग्य प्राप्त हुआ ओर भरत को चक्रवती सम्राट बनाया।
उस समय के राजा प्रियव्रत ने अपनी कन्या के दस पुत्रो में से सात पुत्रो को संपूर्ण पृथ्वी के सातों महाद्वीपो के अलग – अलग राजा नियुक्त किया था।राजा प्रियव्रत ने जम्बूद्वीप का शासक अग्नीघ्र को बनाया।जम्बूद्वीप का जिस क्षेत्र राजा भरत ने बसाया था,उस क्षेत्र को भारतखण्ड के नाम से जाना जाता था।इसके बाद राजा भरत ने अपना राज्य अपने पुत्र को दिया वो”भारतवर्ष”कहलाया।भारतवर्ष का अर्थ है”राजाभरतका क्षेत्र”।राजा भरत के पुत्र का नाम सुमति था।
➜द्वितीय भरत:-राजा दशरथ और कैकयी के पुत्र का नाम भरत था।भरत राजा राम के छोटे भाई थे।परंपरा के अनुसार राम को राजगादी पर बिराजमान होना था लेकिन उन्हें 14 साल का वनवास मिला था, इसीलिए भरत को राजगादी मिली।राजा भरत ने राज्य का विस्तार किया था।इसी कारण राजा भरत के नाम पर भारतवर्ष नाम पडा।
➜तृतीय भरत:- महाभारत के अनुसार कुरुवंश के राजा दुष्यंत और शकुन्तला के पुत्र भरत के नाम से भारतवर्ष नाम पडा।राजा भरत प्रतापी राजा थे।ओर दूर दूर तक उनका साम्राजय फेला हुआ था।
➜भारतवर्ष में अफगानिस्तान,भूटान,म्यानमार,फिलिप्स,इंडोनेशिया,तिब्बत,पाकिस्तान,श्रीलंका,बांग्लादेश,मलेशिया, थाइलैंण्ड,कम्बोडिया,दक्षिण वियतनाम,नेपाल और ईरान इन सब देश आते थे।
4. भारत
➜हमारे देश का नाम भारत महाभारत से भी ढाईहजारसाल पेहले का माना जाता हैं।देश का जो वर्तमान स्वरूप है उसे भारत के नाम से जाना जाता हैं।भारतवर्ष यानी भारत और उसके आसपास के भू-भाग को इंडियन सबकोन्टीनेन्ट केहते हैं।
प्राचीन भारत में श्रीलंका,भूटान,तिब्बत,पाकिस्तान,बांग्लादेश,
मलेशिया,कम्बोडिया, म्यानमार,इंडोनेशिया आदि भारत के आसपास देश को मिलाकर जो अखंड भारत का स्वरूप दिया जाता था उसे भारतवर्ष के नाम से जानते थे और अभी जो हमारा देश है,उसको हम भारत के नाम से जानते है।5. इंडिया
➜इंडिया नाम की उत्पत्ति सिंधु नदी के अंग्रेजी नाम “इंडस”से हुई है।”सिंधु घाटी की सभ्यता” पूरे देश में फैली हुई थी।हमारे देश में सिंधु घाटी की सभ्यता से सिंधु नाम की नदी भी है।सिंधु नदी को अंग्रेजी में इंडस कहा जाता था।जब अंग्रेजो भारत में आए तब भारत को हिंदुस्तान नाम से जाना जाता था।अंग्रेजो हिंदुस्तान नाम का उच्चारण ठीक से नहीं कर पा रहे थे।उनको पता चला की भारत की सभ्यता सिंधु घाटी की सभ्यता से जुडी हुई है।सिंधुघाटी को अंग्रेजी में इंडसवैली कहा जाता था।सिंधु घाटी के सभ्यता के कारण भारत का पुराना नाम सिंधु भी था। जिसे यूनानी में इंडोयाइंडोस शब्द का
रूप मिला था।इस शब्द को लेटिन भाषा में इंडिया कहा जाता था।इसलिए अंगेजो ने भारत को इंडिया नाम दिया।
शरूआत में भारत को इंडिया नाम मिला था तब भारत के लोगो द्वारा इंडिया नाम का अस्वीकार किया गया था।क्यूंकि, ये नाम विदेशियों द्वारा रखा गया था और शरुआत में इस नाम को कोई प्रसिद्धि नही मिली थी।
जब अंग्रेजो ने भारत का नाम इंडिया रखा था, तब उनके शासनकाल दरमियान ये नाम काफी प्रसिद्ध हो गया था।सभी देश विदेशियों भारत को इंडिया नाम से जानने लगे थे।इसी तरह भारत का नाम इंडिया पडा था।
6. जम्बूद्वीप
➜भारत को प्राचीन समय में जम्बूद्वीप कहा जाता था।ऐसा कहा जाता है की हमारे देश का जम्बूद्वीप नाम आर्यवर्त नाम से पहले दिया गया था।जम्बूद्वीप का अर्थ “जहां जंबु के पैड उगते हैं”। भारत के लोगो द्वारा जम्बुद्वीप शब्द का प्रयोग किया जाता था।
पुराणिक ब्रह्मांड शास्त्र के अनुसार संपूर्ण धरती को सात महाद्वीपों में बाटा गया था।इन सात महाद्वीपों में “जम्बूद्वीप,
प्लाक्सद्वीप,स्लमालिद्वीप,कुसाद्वीप,क्रौनकाद्वीप,सकाद्विप ओर पुष्करद्वीप थे”।जम्बूद्वीप के 9 खंड थे: ईलाव्रत, भद्राक्ष,किंपुरुष,भरत,हरी,केतुमाल,रम्यक, कुरू और हिरण्यमय।
स्वयंभू मनु का जम्बूद्वीप पर निवास करने का कारण था की,सिर्फ इस द्वीप पर रेहनेलायक उच्चित वातावरण था,बाकी द्वीपों पर रहने लायक वातावरण नहीं था।उसमें भी भारतवर्ष की जलवायु सबसे उत्तम थी।
यहीं विवस्ता नदी के पास स्वयंभू मनु और उनकी पत्नी शतरूपानिवास करते थे।
जिस भू-भाग में जंबु के पैड ज्यादा उगते थे उस भू-भाग को जम्बूद्वीप कहा जाता था।विष्णुपुराण में भी जंबु के पैड के बारे में बताया गया है कि,इसके फल हाथियों जितना बडा होता था।ओर जब फल सड जाते थे तब वे फल पहाड उपर से गिर जाता थे और उनके रस से नदी बनती थी।
जम्बूद्वीप में पेहले देव-असुर थे और फिर बहुत बाद में कुरुवंश ओर पुरुवंश के बीच की लडायो ओर उनकी विचारधाराओं के मतभेद के चलते कारण जम्बूद्वीप कई भागों में बटता चला गया।
राजा प्रियव्रत ने पृथ्वी को सातद्वीपों में बांटा था।ये सातों द्वीप चारो और से क्रमश: खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घृत, दधी,दुग्ध और मीठे जल के सात समुद्र से घिरे हैं।ये सभी द्वीप एक के बाद एक दुसरे को घेरे हुए बने हैं।ओर इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र बने हैं।इन सब में जम्बूद्वीप मध्य में स्थित हैं।राजाप्रियव्रत ने अग्निघ्र को
जम्बूद्वीप का शासक बनाया था।
ऐसा भी माना जाता हैं, की महाराज सागर के आठपुत्रो द्वारा पृथ्वी को खोदने से जम्बूद्वीप में आठ अन्य उपद्वीप भी मिले।
[स्वर्णप्रस्थ,चन्द्रशुक्ल,आवर्तन,रमणक,मन्दहारिण,पांच्यजन्य,सिंहल और लंका]
जम्बूद्वीप का विस्तार संपूर्ण एशिया।जम्बूद्वीप से छोटा है भारतवर्ष।भारतवर्ष में ही आर्यवर्त स्थित था।
देखा जाए तो भौलोगिक दृष्टि से घटते क्षेत्र क्रम इस प्रकार हैं।
[महाद्वीप/जम्बूद्वीप/भारतवर्ष/आर्यवर्त/आपका स्थान ]
7.अजनाभ खंड(अजनाभ वर्ष)
➜हमारे देश को प्राचीन समय में अजनाभ खंड भी कहा जाता था।हमारे देश का अजनाभ खंड नाम आर्यवर्त नाम से पहले दिया गया था।जम्बूद्वीप के 9 खंडों में से भरत खंड को ही भारतवर्ष कहते हैं, जिसका पेहले अजनाभ खंड नाम था।अजनाभखंड का अर्थ ब्रह्मा की नाभिया नाभि से उत्पन्न।
8.हिमवर्ष
➜राजा अग्निघ्र ने वृद्धावस्था में जम्बूद्वीप के विभिन्न स्थानों का शासन कार्य का दाहित्व अपने नौ पुत्रो को सोप दिया था।इन नौ पुत्रो में सबसे बडे नाभी थे।राजानाभि को हिमवर्ष का भू-भाग मिला था।इसीलिए इस भू-भाग को
हिमवर्ष के नाम से जाना जाता था।
9.नाभीवर्ष
➜भारत का पुराना नामनाभीवर्ष था।हमारे देश का नाम नाभिवर्ष जो पेहले जैन तीर्थकर ऋषभदेव के पिता नाभी राज के नाम पर से पडा था।राजा नाभि को जम्बूद्वीप का हिमवर्षका भू-भाग उनके पिता राजाअग्निघ्रने दिया था।जम्बूद्वीप का वह भागराजानाभिको मिला था। पेहले इस भू-भाग का नामहिमवर्षथा, फिर इस भू-भाग को नाभी राजा ने अपने नाम सेनाभीवर्षनाम दे दिया।
10.होडू
➜हिंब्रू भाषा में लिखी एक किताब बुक ऑफ ईस्टरमें भारत के लिए होडू नाम का इस्तमाल किया गया है।इसका मतलब ईसा मसीहा के दुनिया में आने से 400 साल पहले भी सात समंदर पार कुछ लोग हमारे देश को जानते थे।
11.ईलाव्रत(इलावृत)
➜ ईलाव्रत राज्य जम्बूद्वीप के बीच के स्थान मे था।जहां दैत्य और दानव बसते थे।इस ईलाव्रत में एशियाई रूस का दक्षिणी-पश्चिमी भाग,ईरान का पूर्वी भाग तथा गिलगित का निकटवर्ती क्षेत्र सम्मिलित था।
ईलाव्रत क्षेत्र में 12 बार देवासुर संग्राम हुआ।अंतिम बार हिरण्यकशीपु के पुत्र प्रहलाद। प्रहलाद का पुत्र राजा बलि के साथ इंद्र का युद्ध हुआ था और देवता हार गए तब संपूर्ण जम्बूद्वीप पर असुरों का राज हो गया था।
यह मेरू पर्वत के चारो ओर नौ – नौ हजारों योजन में विस्तारित हैं।तथा इसके चारो दिशा में चार विशाल पर्वत हैं।
12.टीयांजू
➜ यह नाम जापान और चीन के लोगो द्वारा दिया गया था।सिंधुका चाइनीज ट्रांसलेशन शेंडूहोता हैं।चौथी सदी में घूमने आए चीनी यात्रीकाह्यानने यही नाम का इस्तमाल किया था।बुजुर्ग साधुशुआनजैंगने भारत के पांच हिस्सों पूरब,पश्चिम, उत्तर,दक्षिण ओर सेंट्रल को टियांजू कहा था।
4. भारत का आधिकारिक(official) नाम क्या हैं?
☞ हमारे संविधान के अनुसार भारत के आधिकारिक रूप से दो नाम हैभारतऔर इंडिया।हमारे संविधान के पेहले अनुच्छेद की पहली पंक्ति है की”भारत अर्थातइंडिया राज्यो का संघ होगा”इस पंक्ति में भारत और इंडिया दोनों नामों का इस्तमाल किया गया है अंग्रेजी में यह अनुच्छेद इस तरह है
“इंडिया दैट इज भारत”।
कुछ समय पहले याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में भारत का आधिकारिक नाम सिर्फ भारत रखने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता की दलील थी की देश का आधिकारिक नाम भारत कर देने से लोगो में राष्ट्रीय स्वाभिमान की भावना का संचार होगा।अंग्रेजो द्वारा रखा गया इंडिया नाम का इस्तमाल बंद कर देना चाहिए।
देश का आधिकारिक नाम सिर्फ भारत रखने की मांग पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया था।कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा की वह सरकार के पास अपनी बात रखे।इस तरह के नीतिगत फैसले लेना अदालत का काम नहीं हैं।
निष्कर्ष
☞हमने इस लेख में भारत के कितने नाम है और क्या -क्या नाम है ,साथ ही हमारे देश के इतने नाम के पीछे की वजह क्या है और भारत के आधिकारक नाम क्या है उसके बारे मैं भी बताया है।
हमारे देश का आधिकारिक नाम दुसरे देश की तरह एक ही आधिकारिक नाम होना चाहिए की नहीं ?हम सबको हमारे देश के इतिहास के बारे में काफी जानकारी होनी चाहिए।
☞हमने इस लेख को भिन्न भिन्न लेखों में से लिया गया है और एक अच्छा लेख बनाने की हमने कोशिश की है ताकि आपको अच्छी जानकारी मिल सके।
☞पूरा लेख पढने में आपको आसानी हुई होगी और इस लेख से आपको काफी जानकारी मिली होगी।हमारे लेख को पढने के लिए धन्यवाद 🙏..।।..🙏