12 Rules For Life Book Summary | जीवन के 12 नियम:- अव्यवस्था से व्यवस्था की ओर
हेलो दोस्तों, आप अपने जीवन में सफलता पाना चाहते हैं, बेहतरीन बनना चाहते हो, तो यह बुक समरी आपके लिए ही हैं। अगर हम अपनी लाइफ में नियम नहीं बनाएंगे तो हम जीवन में बेहतर नहीं बन पाएंगे। इसलिए हम इस लेख में जीवन के 12 नियम किताब के बारे में बात करेंगे, जो यह ऐसे नियम हैं, जो आपकी अव्यवस्था वाली जिंदगी से व्यवस्था की ओर ले जाएंगे और आपको बेहतर बनाएंगे। इस किताब को जॉर्डन पीटरसन ने लिखा हैं। तो चलिए जानते हैं, जीवन के 12 नियम के बारे में।
कंधे तानकर सीधे खड़े होने का अर्थ हैं, जीवन की कठिन जिम्मेदारी को रोमांच के साथ स्वीकार करना। आपके जीवन में कितनी भी बड़ी परिस्थिति आये, उसका सामना हिम्मत रखकर करे। जब आप अपने कंधे को सीघे रखते हो तो आपको बहुत ही अच्छा फील होगा साथ ही आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
लेखक बॉडी लैंग्वेज के बारे में बताते है की, जिस व्यक्ति की शारीरिक मुद्रा कमजोर हो, आगे की और झुकी हुई हो, छाती भीतर की और दबी रहती हो, गर्दन झुकी हुई हो तो वह व्यक्ति पराजित और अप्रभावी नजर आता हैं।और वह अच्छा महसूस नहीं करता हैं। और वह बिना वजह किसी के सामने झुक जाता हैं, वह सामना नहीं कर पाता हैं। इसलिए लेखक कहते हैं, कंधे तानकर सीधे खड़े होने से वह प्रभावशाली दिखेगा और उसमे हिम्मत आएगी परिस्थति का सामना करने की।
और जब आप जीवन की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए स्व इच्छा से आगे आते हैं, तो आपका नर्वस सिस्टम बिलकुल अलग ढंग से प्रतिकिया देता हैं। फिर कोई चुनौती सामने आने पर हार मानने की बजाय आप साहस करके उनका सामना करते हो।
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लेखक कहते है की आप स्वयं को उस व्यक्ति की तरह देखे, जिसकी सहायता करना आपकी किम्मेदारी हो। इसका एक उदाहरण लेकर समजाते हैं। आप अपने पड़ोसियों और परिवार के साथ अच्छा व्यवहार करते हो। जब आपके परिवार का सदस्य बीमार पड़ता हैं, तब आप उसको डॉक्टर के पास ले जाते और उसको दवाई दिलाते हो और उसकी देखभाल करते हो। मगर जब आप खुद बीमार पड़ते हो, तो आप डॉकटर के पास जाते नहीं हो और दवाई भी नहीं लेते हो।
दोस्तों स्वयं को भी ऐसे व्यक्ति के रूप में देखो, जिसकी सहायता करना आपकी निजी जिम्मेदारी हो। हम और आप सम्मान के पात्र है। आप दूसरों के लिए उतने ही महत्वपूर्ण हो, जितने स्वयं के लिए। आप एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने वाले इंसान है। इसलिए अपना ख्याल रखने के लिए आप नैतिक रूप से बाध्य है। आपको अपना उतना ही ख्याल रखना चाहिए, जितना आप अपने परिवार का और अपने लिए महत्वपूर्ण लोगो का रखते हो।
आपको भविष्य पर विचार करने की और यह सोचने की जरूरत है की “ अगर मेने अपनी देखभाल अच्छी तरह की होती, तो मेरा जीवन कैसा होता? मेरे लिए कोनसा करियर चुनौतीपूर्ण होगा, जो मुझे उत्पादक और मददगार बनाएगा, जिससे में अपनी जिम्मेदारी उठा सकू और जीवन का आनंद ले सकू। इसलिए आप अभी जिस भी स्थिति में है, उसमे आप अभी से उसके बारे में सोचें और उसके अनुरूप मेहनत कीजिये। और आप अपनी खूबियों को पहचाने और अपनी जो कमियां हैं उसे पहचानकर दूर करे।
जब आप अपना ख्याल रखना शुरू कर देंगे तो आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा, आपके जीवन में खुशी आएगी।
इसमें लेखक अपने जीवन में दोस्ती के बारे में बात करते है। हम अपने जीवन में कई दोस्त बनाते है। उन में से हम जिसके साथ अच्छी दोस्ती बनाते है, उसके साथ हमें मस्ती करने का मौका मिलता है, जो हमें आगे बढ़ने में मदद करते है, जरुरत पड़ने पर साथ देते है। और कई बार हमारा मजाक भी बनाते है। जब भी आप कुछ ऐसा करेंगे, जो आपके और दूसरे के लिए लाभदायक होगा, तो वे आपका हौसला बढ़ाएगा, जब आप इसका उल्टा करेंगे तो आपको सावधानी बरतते हुए दंडित भी करेंगे।
कई लोग जाने – अनजाने में खराब दोस्त बना लेते है। वैसे लोगो के साथ दोस्ती कर बैठे होते है जो अपने जीवन मे आगे बढ़ने का उनका लक्ष्य नहीं होता है और वे शराब और धूमपान के आदि होते हैं।और वह लोग आपकी सफलता पर ईच्छा करेंगे। और आपको निचा दिखाने की कोशिश करेंगे।
अपने जीवन में अच्छे दोस्त लाना उतना आसान नहीं है। एक अच्छा और स्वस्थ समझवाला इंसान आदर्थ होता है। ऐसे लोगो के साथ दोस्ती बनाने के लिए आपको साहस और हिम्मत की जरुरत पड़ती है। इसलिए अपने अंदर विनम्रता लाये और साहस दिखायेँ। अपनी निर्यण क्षमता का इस्तमाल करके जो लोग सच में आपका हित चाहते है उन्हें पहचानकर अपना दोस्त बना ले।
लेखक कहते है की, हमें अपनी तुलना अपने पिछले कल से करनी चाहिए, न की दूसरों से। हम सभी अपने जीवन में अलग अलग क्षेत्र में यूनिक हैं और हम उसके काबिल है। किंतु हम सभी बचपन से ही तुलना करने लगते हैं।
आप भले ही किसी क्षेत्र में महारथी हो, पर आपको कोई ऐसा व्यक्ति मिल जायेगा, जिसके सामने आप अक्षम नजर आएंगे। और आप उसके साथ तुलना करनी शुरू कर दोगें और फिर आप तुलना करने से आप खुद को कम आंकने लगोगे हो और आप निराश हो जाओगे। इसलिए आप उसकी तुलना ना करे, क्युकी आप भी एक यूनिक इंसान हो आप में भी ऐसे गुण है जो दूसरों में नहीं है और इसलिए आप अपनी स्किल को कल से आज बेहतर बनाने में मेहनत कीजिये एक दिन आप की भी एक अलग पहचान बन जाएगी।
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इस नियम में लेखक एक उदाहरण देकर पेरेंटिंग के बारे में समझाते हैं। लेखक ने एक भीड़भाड़ वाले एयरपोर्ट पर एक बच्चे को अपने माता – पिता के पीछे चलते देखा।वह हर पांच सेकेंड में हिसंक ढंग से चीख रहा था बिना किसी के उकसाये थे। शायद उसे कुछ चाहिए था। किन्तु कुछ पाने के लिए यह तरीका उचित नहीं था, शायद उसके माता – पिता इस बात का एहसास करवा देते तो वह बच्चा ऐसी हरकत नहीं करता।
लेखक कहते हैं कि माता – पिता का यह दायित्व है कि, वह बच्चे के सामने संसार के प्रति दयालु और ख्याल रखने वाले प्रतिनिधि की तरह व्यवहार करें। हर माता – पिता का यह दायित्व है कि अपने बच्चें को सामाजिक रूप से सर्वश्रेठ बनाये। इससे बच्चे को अपने जीवन में सही अवसर मिलेंगे और उसके अंदर आत्म-सम्मान का भाव विकसित होगा। इसलिए आप अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दे और कोई गलती करे तो सही रास्ता दिखाए। जिससे वह कुछ ऐसी हरकत नहीं करेंगे जिससे आप उन्हें नापसंद न करने लगें।
लेखक कहते हैं, दुनिया की आलोचना करने से पहले खुद का घर संभाले। दुनिया में कई ऐसी चीजे हैं, जिसमे गड़बड़ है, कई ऐसे लोगो है जो दुखी है। दुनिया में ऐसे भी महान लोग हुए, जिसने समाज जे लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन सभी ने अपनी लाइफ में कई मुश्किलों का सामना करके जीवन में सफल बने। हमें भी जीवन में अच्छी चीजों और महान व्यक्तियों के जीवन से अच्छी बाते सीखकर अपने जीवन में लागु करना चाहिए।
लेखक कहते हैं, की हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए, अपने जीवन में सुधार लाने की लिए, अपने जीवन की परिस्थितियों पर विचार करना चाहिए। अपनी बुरी आदतों को छोड़ना चाहिए। जो काम गलत है, वह नहीं करना चाहिये।अपने काम के प्रति अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। इस तरह हमें दुनिया की आलोचना करने की बजाई हमें अपने जीवन में बेहतर बनना चाहिए।
कोई काम तभी तक करे, जब तक उसके परिणाम आपके काम के हो।
जीवन में बहुत संघर्ष हैं। यह सच जिससे हम झूठ नहीं कह सकते हैं। इसलिए तुम्हें अपने जीवन में सुखी होने के लिए कठिन परिश्रम करना होगा। तब तक तुम्हें परिश्रम करना होगा, जब तक पसीना ना आ जाये। जीवन में सच्ची चीजें मुश्किल भी होती हैं, वह चीजें करने में दिक्कत भी बहुत आती हैं। किंतु वही चीज करने से तुम अपने जीवन में बेहतर बनोगे और भविष्य में जाकर वही चीज अच्छा परिणाम भी देगी।
इसलिए हमें अपने जीवन में वह चीजें करनी चाहिए जिसका कोई महत्व हो, वह चीज काम की हो, भले ही वह चीज करने में बहुत परेशानी आये, फिर भी वह चीज हमें करनी चाहिए।
इसमें लेखक जब पढाई कर रहे थे उस वक्त का यह हिस्सा हैं। लेखक अपनी पढ़ाई के दौरान एक हॉस्पिटल में प्रशिषण लेने के लिए गए थे। उस दौरान एक महिला मरीज लेखक के पास आकर उनसे पुछा की, आप सब यहाँ क्यों खड़े हो, में भी तुम्हारे साथ खड़ी हो जाऊ? वह महिला मरीज बहुत तकलीफ से घिरी हुई थी। इसलिए लेखक महिला से ऐसी बात नहीं करना चाहते थे, जिससे महिला मरीज को ठेस पहुंचे। इसलिए लेखक ने महिला को सहजता से बता दिया की, हम सब छात्र हैं और यहाँ मनोविश्लेषक बनने का प्रशिक्षण ले रहे है, इसलिए आप हमारे साथ खडी नहीं रह सकती हैं। इस जवाब से महिला को ठेस भी न पहुँची और यह जवाब सोचकर बोले गए झूठ की तुलना में कठोर था।
ज्यादातर लोग अपने जीवन में कई बार झूठ बोलते है, और वह अपने जीवन में स्वीकार नहीं करते है, और झूठ बोलकर अपने जीवन में ही परेशानी लाते हैं। और एक झूठ को छुपाने के लिए कई सारे झूठ बोलते हैं। इस झूठ से वह खुद को और दूसरों को कही न कही नुकसान दे रहे होते हैं।
इसलिए, झूठ बोलने की बजाई उसे पहचाने और स्वीकार करके हमेशा सच बोलने का प्रयास करें और सच बोलकर अपना चरित्र अच्छा बनाये।
लेखक इसमें बातचीत के बारे में बात कर रहे हैं। इसमें लेखक बताते हैं, की जब आप बातचीत कर रहे होते हैं,तो आप बोल रहे होते हैं, – पर आप मुखत्व: सुन रहे होते हैं। सुनने का अर्थ हैं, ध्यान देना।अगर आप लोगों को सचमुच सुने, तो वे आपको ऐसी बात बताएँगे की आप हैरान रह जाओंगे। कई बार तो हम उसकी बात अच्छी तरीके से सुने तो बातो में बातो में, वह आपको आपकी गलती के बारे में भी बताएंगे, जिससे आप अपनी गलती को सुधार सकते हो।
आपको दूसरों की बात कैसे सुननी चाहिए?
बीसवीं सदी के महान मनोवैज्ञानिक कार्ल रॉजर्स सुनने के महत्व के बारे में बताते हैं। वह कहते हैं, की हम्मे से ज्यादा लोग सुनना नहीं चाहते हैं, क्योंकि सुनने के लिए साहस होना चाहिए, वह हमारी अंदर नहीं होता। उनका यह सुझाव था कि, जब भी बातचीत हो रही हो तब, सामने वाले द्वारा बोले गए शब्दों को और विचारों को एक बार स्वयं दोरायें और समझने की कोशिश करे की वह क्या कह रहा हैं।
अगर आप तुरंत जवाब देने की बजाय, उन्हें गौर से सुनोंगे तो वह आपको ऐसा बता देगा की जो वह हकीकत में सोच रहा होता हैं,और वे बताते वक्त छल भी नहीं करेंगा।
लेखक कहते है की, जब बातचीत कर रहे होते हैं, तब हमें बातचीत के दौरान हँसी मजाक भी करनी चाहिए।
नई चीजों को जानने और समझने के लिए दोनों के बीच आदान – प्रदान की जरुरत होती हैं। इसमें सभी को अपने विचार रखने का मौका मिलता हैं और जिससे हम नई चीज सीख सकते हैं।
इसलिए हमें बातचीत के दौरान लोगो की बातो को अच्छे से सुनना चाहिए और यह मानकर चलना चाहिए की हमें उसके बारे में पत्ता नहीं। इससे आपकी अच्छी कम्युनिकेशन होगी और आप जीवन में अच्छी बात सीख सकोगें।
इसमें लेखक बताते हैं जब आप बातचीत कर रहे होते हैं, तब सटीक और स्पष्ट शब्दों का उपयोग करें। आप वही कहे जो आप सचमुच कहना चाहते हैं, जिससे आप यह जान सकते हैं, की आप क्या कहना चाहते हैं। इसी तरह आप को जो भी करना हैं, वह स्पष्ट रूप से करें। इसके बाद ध्यान दे और अपनी गलतियों को नॉट करें और उसे सुधारने की कोशिश करें।
इसी तरह आप यह स्पष्ट करे की आपकी मंजिल क्या है? फिर यह तय करे की आप वहां तक कैसे जायेगे, साथ ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ध्यान केंद्रित करके स्पष्ट होकर मेहनत कीजिये।
लेखक जब टोरंटो में थे तब टोरंटो के एक हॉल में बच्चे स्केटबोर्डिंग कर रहे थे। तब कुछ लोगो को यह खेल बेवक़ूफीभरा लगता था। लेखक का मानना था की यह खेल वाकई बढ़िया है, यह बच्चे बहुत ही कमाल कर रहे हैं। किन्तु, स्कूल शुरू होने से दो सप्ताह पहले मैदान में लगे सभी साधने गायब हो गए। दरअसल, बच्चो की सुरक्षा के लिए मैदान बंध किये थे। जबकि वे बच्चो के लिए सुरक्षित था। लेखक ने बच्चो के लिए सुरक्षित कहा, क्योकि जब भी मैदान को जरुरत से ज्यादा सुसक्षित बना दिया जाये तो, बच्चे उसमे खेलना बंध कर देंगे। बच्चों के लिए इतने मैदान खतरनाक तो होने चाहिए की, उन्हें चुनौतीपूर्ण लगें। उसका सामना करने के लये वह मेहनत और हिम्मत करे ताकि, उसक विकास हो।
इसलिए लेखक का कहना हैं, की हमें जोखिम उठाना चाहिए और चुनौतीपूर्ण कार्य करने के लिए हमें खुद को प्रेरित करना चाहिए। ताकि हमारा आत्मविश्वास दृढ हो और हमारा साहस बढ़ता हैं। जो चीजे हमें आसानी से मिल जाती हैं, तो हम उसकी वेल्यू नहीं करते हैं।
इसमें लेखक कहते हैं की, अगर रस्ते में कोई बिल्ली नजर आए तो उसे पाल लें, उसे खाना खिलाये। इसी तरह आप दिन में कम से कम तीन अच्छी चीजें करने की कोशिश करें। चाहिए बिल्ली को खाना खिलाना हो, अपने टीममेट को हेल्प करनी हो या किसी भी व्यक्ति मदद करनी हो। इससे आपको बहुत खुशी मिलती हैं। इसी तरह आप हर दिन अपने जीवन में बेहतर बनने लगेंगे।
दोस्तों, इस बुक समरी में हमें जीवन के 12 नियम के बारे में बात की हैं, और वह 12 नियम को आप अपने जीवन में इस्तमाल करके अपने जीवन को बेहतर बनाकर सफलता प्राप्त कर सकते हो साथ ही आप अपने परिवार की समस्या को सुलझा सकते हो। अगर दोस्तों आपको यह किताब पढ़नी हो तो आप निचे दी गई लिंक से खरीद सकते हो।